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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

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हिन्दी काव्य का इतिहास

प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।

अथवा
पाँच प्रेमाख्यानों के काव्य और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए |

उत्तर -

सूफी प्रेमाख्यान की परम्परा - भारत में सूफी मत का प्रचार एवं प्रसार होते ही सूफी कवि भारतीय भाषाओं में विविध काव्यों की रचना करके अपने मत को जन-जन के हृदय तक पहुँचाने लगे। हिन्दी में भी इसी लिए सूफी मत सम्बन्धी ये ग्रन्थ प्रायः प्रेम कथाओं से परिपूर्ण थे और इसमें एक ऐसी प्रेमकथा दी जाती थी जो सूफी सिद्धान्तों सूफी काव्य पद्धति से परिपूर्ण होती है जिसे गाकर सूफी कवि सर्वसाधारण में अपने विचारों का प्रचार किया करते थे। सूफियों को अनेक प्रेमाख्यान परम्परा के रूप में प्राप्त हो गये। जिनका उपयोग वे अपने प्रचारार्थ करने लगे। इन भारतीय सूफी कवियों को पद्धति परम्परा रूप में प्राप्त हुई वहीं दूसरी ओर इन्हें ईरान के सूफी कवियों की मसनवी रचनाएँ भी गुरु परम्परा से प्राप्त हो गयी। इसलिए इन कवियों ने भारतीय प्रेमाख्यानों के अन्तर्गत सूफी सिद्धान्तों का समावेश करके मसनवी पद्धति पर अपने-अपने प्रेमाख्यानों की रचना आरम्भ की।

सूफी प्रेमाख्यानों की परम्परा का प्रथम कवि - हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानों की परम्परा मुल्ला दाऊद के 'चन्दायन' से आरम्भ होती है। 'चन्दायन' की रचना 1380 ई. के लगभग हुई थी। मुल्ला दाऊद डलमऊ के निवासी थे और अपने क्षेत्र में प्रचलित लोक गाथा चनैनी के आधार पर उन्होंने चन्दायन का निर्माण किया था। इसमें गोबरगढ़ के राजा सहदेव की अनिन्ध सुन्दरी कन्या चन्दा और राजापुर के राव रूपचन्द की प्रेम कथा को मसनवी पद्धति पर लिखा गया है। चन्दा का नखशिख वर्णन इस ग्रन्थ का अत्यन्त मनोहारी स्थल है और सम्पूर्ण काव्य में प्रेम सम्बन्धी विरह एवं मिलन का अत्यन्त सजीव चित्रण किया गया है।

इस परम्परा में दूसरा ग्रन्थ कुतुबन कृत 'मृगावती' है। हिन्दी के इस सूफी प्रेमाख्यान की रचना 1504 ई. में हुई थी। यह काव्य भी मसनवी पद्धति पर बादशाह हुसेनशाह के समय में लिखा गया था। इसमें चन्द्रगिरि के राजा गनप्रति के पुत्र राजकुँवह और मृगावती की प्रेमकथा अत्यन्त सरस एवं मधुर शैली में अंकित की गई है। सम्पूर्ण काव्य राजकुँवर के उत्कृष्ट विरह और मिलन की गाथा से परिपूर्ण हैं तथा श्रृंगार के साथ-साथ यहाँ वीर रस का वर्णन भी अत्यन्त सजीव एवं मार्मिक है।

इस परम्परा में तीसरा काव्य मलिक मुहम्मद जायसी कृत 'पद्मावत' आता है 'पद्मावत' की रचना 1532 ई. में हुई थी। यह काव्य शेरशाह के समय में लिखा गया था। इसमें चित्तौड़ के राजा रतन सेन और सिंहल द्वीप की रानी पदमिनी के विरह मिलन की गाथा अत्यन्त रोचक एवं मनोरंजक पद्धति में लिखी गयी है। इसमें प्रथम खण्ड में राजा रतनसेन और पद्मावती के विवाह तक की कथा है। द्वितीय खण्ड में अलाउद्दीन के आक्रमण से लेकर राजा रतनसेन की मृत्यु तथा नागमती और पद्मावती के सती होने तक की कथा वर्णित है। काव्य कला की दृष्टि से यह एक श्रेष्ठ काव्य है।

हिन्दी की सूफी प्रेमाख्यानों की परम्परा में चौथा काव्य मंझन कृत 'मधुमालती' आता है। 'मधुमालती' की रचना 1537 ई. में हुई थी। कवि मंझन चुनार के रहने वाले थे और इस काव्य का निर्माण उन्होंने सलीम शाह के समय में किया था। इस काव्य में कनेसर नगर के राजा सूरजभान के पुत्र मनोहर और महारस नगर के राजा विक्रमराय की पुत्री मधुमालती के प्रेम और विवाह की कथा अत्यन्त सरस शैली में अंकित की गई है।

इस परम्परा में पाँचवां ग्रन्थ उस्मान कृत 'चित्रावली' है। यह काव्य 1607 ई. में लिखा गया था। इसकी रचना जहाँगीर के समय में हुई थी कवि उस्मान गाजीपुर के निवासी थे और चिश्चितया सम्प्रदाय के अनुयायी थे। इस प्रेमाख्यानक काव्य में नेपाल के राजा धरनीधर के पुत्र और रूपनगर के राजा चिबसेन की कन्या चित्रावली की प्रेमगाथा अत्यन्त मार्मिक ढंग से प्रस्तुत की है।

इस परम्परा में हिन्दी का छठा ग्रन्थ शेखनवी कृत 'ज्ञानद्वीप' आता है।

इस काव्य की रचना 1611 ई. में हुई थी। यह ग्रन्थ भी जहाँगीर के ही शासनकाल में लिखा गया था। इस काव्य में नीमसार मिस्रिज के राजा सिरोमनि के पुनः ज्ञान द्वीप और विद्याधर के राजा सुखदेव की पुत्री देवयानी के विरह और मिलन की गाथा को अत्यन्त मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

इसी परम्परा में जान कवि कृत 'कथा रत्नावति' 'कथा कनकावति' ग्रन्थ 'बुद्धि सागर' और 'कथा कँवलावती' मुख्य रूप से आते हैं। यद्यपि इनके द्वारा लिखित कुल 60 ग्रन्थ मिलते हैं, किन्तु उक्त केवल चार ग्रन्थों को ही प्रमुख रूप से सूफी प्रेमाख्यानों की परम्परा में स्वीकार किया गया है, क्योंकि इसका निर्माण मसनवी पद्धति पर हुआ है।

इनमें से कथा रत्नावती में अमृत पुरी नगर के राजा जगतराइ के पुत्र सहिमोहन तथा फुलवारी नगर के राजा सूरज की पुत्री रत्नावती के विरह और मिलन की गाथा दी गई है। कथा कनकावती' में भरथनेर के राजा भरथ के पुत्र परम रूप और सिंहपुरी के राजा जगतपतिराय की पुत्री कनकावति के प्रेम एवं मिलन की कथा दी गई है। 'ग्रन्थ बुद्धिसागर' अथवा कथा 'मधुकर मालती' में अयोध्या के सौदागर रतन के पुत्र मधुकर और अयोध्या की ही एक कन्या मालती के प्रेम और विवाह का अत्यन्त रोचक वर्णन दिया गया है। 'कथा कँवलावती' में रूप पुरी नगरी के राजा रूपराय के पुत्र इन्दुवदन और मदन राय की पुत्री कँवलावती के प्रेम एवं मिलन की गाथा अत्यन्त मनमोहक ढंग से प्रस्तुत की गई है। हिन्दी सूफी काव्य परम्परा में कवि कासिम शाह कृत हँसजवाहिर नामक ग्रन्थ आता है। इसकी रचना 1734 ई. में हुई थी। यह ग्रन्थ मोहम्मद शाह के काल में लिखा गया था। इसमें बलख नगर के सुल्तान बुरहान शाह के पुत्र हँस तथा चीन देश के राजा आलमशाह की पुत्री जवाहिर के प्रेम और विवाह की कथा बड़े रोचक ढंग से दी गई है। इसमें कवि ने घटनास्थलों के लिए भारत के बाहर बलख, चीन एवं रोम प्रदेशों का चयन किया है किन्तु नाम भारतीय ही है।

इसी परम्परा में कवि नूर मुहम्मद कृत 'इन्द्रावती' नामक प्रेमाख्यान ग्रन्थ आता है। इसकी रचना 1742 ई. में हुई थी। कवि नूर मुहम्मद जौनपुर जिले की शाहगंज तहसील में सबहरद गाँव के अन्तर्गत रहा करते थे। इन्द्रावती काव्य में उन्होंने कालिंजर के राजा भूपति के पुत्र राजकुँवर और आगमपुर नगर के राजा जगपति की पुत्री इन्द्रावती के प्रेम और विवाह की कथा को अत्यन्त सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है। यहाँ सम्पूर्ण कथा अन्योक्ति रूप में अंकित हुई है। हिन्दी के सूफी प्रेमाख्यानों की इसी परम्परा में नूरमुहम्मद कृत अनुराग बाँसुरी 'काव्य' भी आता है। ये सभी ग्रन्थ मुहम्मद शाह के शासनकाल में रचे गये थे। इस ग्रन्थ की रचना सन् 1763 ई. में हुई थी। इसमें कवि ने मूरतिपुर नगर के राजा जीव के पुत्र अन्तः करण और सनेहनगर के राजा दर्शनराय की पुत्री सर्वमंगला के विरह एवं मिलन की गाथा अंकित की है।

इसी परम्परा के अन्तर्गत कवि शेख निसार कृत यूसुफ जुलेखा नामक ग्रन्थ आता है। जिसकी रचना 1760 ई. के लगभग हुई थी। ये फैजाबाद जिले के मंगलसी चरगने में स्थित शेखपुर गाँव के रहने वाले थे। कवि निसार ने इस ग्रन्थ की रचना दिल्ली के सुल्तान शाह आलम के समय में की थी। इसमें नवीं याकूब के पुत्र युसूफ और तैमूस नामक सुल्तान की पुत्री जुलेखा के प्रेम की गाथा को अत्यन्त रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।

इसी परम्परा में ख्वाजा अहमदकृत 'नूरजहाँ' काव्य आता है। इसकी रचना 1605 ई. के लगभग हुई थी। ख्वाजा अहमद प्रतापगढ़ जिले की प्रतापगढ़ तहसील में स्थित बाबूगंज गाँव के निवासी थे। इसमें कवि ने सरन द्वीप के अन्तर्गत ईरानगढ़ नगर के सुल्तान मालिक शाह के पुत्र खुरशेद और वुतन शहर के सुल्तान खबरशाह की कन्या नूरजहाँ के प्रेम और मिलन का वर्णन किया है।

इसी सूफी परम्परा में कवि नसीर कृत 'प्रेम दर्पण' काव्य आता है। इसकी रचना सन् 1620 ' ई. के आस-पास हुई थी। कवि नसीर गाजीपुर जिले के जमानियाँ गाँव के रहने वाले थे। उन्होंने अपने उस काव्य में युसूफ और जुलेखा के प्रेम की गाथा वर्णित की है।

तत्पश्चात् हिन्दी के सूफी प्रेमाख्यानों की परम्परा में समाचन्द सोधी कृत कामरूप की कथा' उपलब्ध होती है। इस काव्य में अवध पुर के राजा राजपति के पुत्र कामरूप और सरन द्वीप के राजा काम राज की पुत्री कामकला के प्रेम और विवाह की कथा अत्यन्त सरस ढंग से प्रस्तुत की गई है।

प्रेमाख्यान परम्परा में जायसी का स्थान - इस प्रकार हिन्दी के सूफी प्रेमाख्यानों की परम्परा के अनुशीलन करने पर ज्ञात होता है कि हिन्दी में मसनवी पद्धति पर पर्याप्त मात्रा में प्रेमाख्यानों का निर्माण हुआ है। ये सभी प्रेमाख्यान अवधी भाषा में लिखे गये हैं। इन सभी प्रेमाख्यानों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर यह निस्सन्देह कहा जा सकता है कि जायसी का 'पद्मावत' सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि इसमें सूफी सिद्धान्तों के आधार पर प्रेम निरूपण का जो आदर्श अपनाया गया है, हिन्दी के समस्त परवर्ती सूफी कवियों ने उसी का अनुसरण किया है, साथ ही उसमें लौकिक प्रेम को आधार बना कर आध्यात्मिक प्रेम की अत्यन्त सरस सजीव एवं मार्मिक अभिव्यंजना हुई है। यहाँ कवि को विशुद्ध भारतीय पात्रों को लेकर भारतीय वातावरण की सृष्टि करने में पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है और कथा के बीच-बीच में पड़ने वाले रमणीक स्थलों का चित्रण अत्यन्त सरसता एवं मार्मिकता के साथ हुआ है। सारा पद्मावत काव्य कवि जायसी के अद्वितीय रचना कौशल का उत्कृष्ट उदाहरण है, क्योंकि इसके वस्तु वर्णन अत्यन्त प्रभावशाली हैं। इसका प्रकृति चित्रण अत्यन्त सजीव एवं मार्मिक है। इसका नखशिख वर्णन अत्यन्त मर्मस्पर्शी है। इसका विरह वर्णन अत्यधिक सहदय जन संवेद्य है। इसकी प्रेम व्यंजना चित्ताकर्षक है। इसकी रहस्यात्मक अनुभूति अत्यन्त आहलादकारिणी है। इसका सौन्दर्य निरूपण अत्यन्त मनोरंजक है। इसीलिए आज हिन्दी के सम्पूर्ण प्रेमाख्यानों में 'पद्मावत' का मूर्धन्य स्थान है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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